श्री अनघाकवचाष्टकम्

स्तोत्र - मंत्र  > देवी स्तोत्र Posted at 2018-03-30 07:29:42

।।अथ श्री अनघाकवचाष्टकम्।।

ॐ श्री अनघा लक्ष्मी दत्तात्रेयाय नमः

शिरो मे अनघा पातु, भालं मे दत्तभामिनी। भ्रूमध्यं योगिनी पातु, नेत्रे पातु सुदर्शिनी ।।१।।

नासारंध्रद्वये पातु, योगिशी भक्तवत्सला।। मुखं में मधुवाक्पातु, दत्तचित्तविहारिणी ।।२।।

त्रिकंठी पातु मे कंठं, वाचं वाचस्पतिप्रिया। स्कंधौ मे त्रिगुणा पातु, भुजौ कमलधारिणी ।।३।।

करौ सेवारता पातु, ह्यदयं मंदहासिनी। उदरं अन्नदा पातु, स्वयंजा नाभिमंडलम् ।।४।।

कमनिया कटि पातु, गुह्यं गुह्येश्वरी सदा। ऊरु मे पातु जंभघ्नी, जानुनी रेणुकेष्टदा ।।५।।

पादौ पादस्थिता पातु, पुत्रदा वै खिलं वपु:। वामगा पातु वामांगं, दक्षांग गुरुगामिनी ।।६।।

गृहं मे दत्तगृहिणी बाह्ये, सर्वात्मिकाSवतु। त्रिकाले सर्वदा रक्षेत्, पतिशुश्रुणोत्सुका ।।७।।

जाया मे दत्तवामांगी, अष्टपुत्रा सुतोS वतु। गोत्रमत्रि स्नुषा रक्षेद्, अनघा भक्त रक्षणी ।।८।।

य: पठेद अनघाकवचं नित्यं भक्तियुतो नर:। तस्मै भवति अनघांबा वरदा सर्व भाग्यदा ।। इति अनघाकवचाष्टकम् ।।

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