अष्टलक्ष्मी स्तोत्र

स्तोत्र - मंत्र  > देवी स्तोत्र Posted at 2018-10-13 14:53:49
॥ श्री अष्टलक्ष्मीस्तोत्रम् ॥ ॥ आदिलक्ष्मी ॥ सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवि चन्द्र सहोदरि हेममये । मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायिनि मञ्जुळभाषिणि वेदनुते ॥ पङ्कजवासिनि देवसुपूजित सद्गुणवर्षिणि शान्तियुते । जयजय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि सदा पालय माम् ॥ 1॥ ॥ धान्यलक्ष्मी ॥ अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि वैदिकरूपिणि वेदमये । क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ॥ मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते । जयजय हे मधुसूदन कामिनि धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ॥ 2॥ ॥ धैर्यलक्ष्मी ॥ जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये । सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते ॥ भवभयहारिणि पापविमोचनि साधुजनाश्रित पादयुते । जयजय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ॥ 3॥ ॥ गजलक्ष्मी ॥ जयजय दुर्गतिनाशिनि कामिनि सर्वफलप्रद शास्त्रमये । रथगज तुरगपदादि समावृत परिजनमण्डित लोकनुते ॥ हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित तापनिवारिणि पादयुते । जयजय हे मधुसूदन कामिनि गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ॥ 4॥ ॥ सन्तानलक्ष्मी ॥ अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि रागविवर्धिनि ज्ञानमये । गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि स्वरसप्त भूषित गाननुते ॥ सकल सुरासुर देवमुनीश्वर मानववन्दित पादयुते । जयजय हे मधुसूदन कामिनि सन्तानलक्ष्मि त्वं पालय माम् ॥ 5॥ ॥ विजयलक्ष्मी ॥ जय कमलासनि सद्गतिदायिनि ज्ञानविकासिनि गानमये । अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर- भूषित वासित वाद्यनुते ॥ कनकधरास्तुति वैभव वन्दित शङ्कर देशिक मान्य पदे । जयजय हे मधुसूदन कामिनि विजयलक्ष्मि सदा पालय माम् ॥ 6॥ ॥ विद्यालक्ष्मी ॥ प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि शोकविनाशिनि रत्नमये । मणिमयभूषित कर्णविभूषण शान्तिसमावृत हास्यमुखे ॥ नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि कामित फलप्रद हस्तयुते । जयजय हे मधुसूदन कामिनि विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम् ॥7॥ ॥ धनलक्ष्मी ॥ धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि धिन्धिमि दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये । घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते ॥ वेदपुराणेतिहास सुपूजित वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते । जयजय हे मधुसूदन कामिनि धनलक्ष्मि रूपेण पाल

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