हे दयानिधे श्री गजानना

भजन - स्तुती Posted at 2018-10-12 09:17:26

  गणेश करुणाष्टके

घोर हा नको फार कष्टलो | निजहितास मी व्यर्थ गुंतलो | वारि शीघ्र संसार यातना | हे दयानिधे श्री गजानना || १ || विषय गोड हे लागले मला | यामुळे असे घात आपुला | कालुनीया असें भ्रांति जाईना | हे दयानिधे श्री गजानना || २ || त्रिविध ताप हा जाळितो अती | काम क्रोध हे जान पीडती | चित्त सर्वथा स्वस्थ राहिना | हे दयानिधे श्री गजानना || ३ || स्त्री धनादि हे आठवे मनी | छंद हाच रे दिवसयामिनी | विसरलो तुला दिनपालना | हे दयानिधे श्री गजानना || ४ || माउली पिता बंधू सोयरा | तूंचि आमुचा निच्छये खरा | शरण तुंज मी विघ्नभजना | हे दयानिधे श्री गजानना || ५ || म्हणवितो तुझा दास या जनी | सकळ व्यापका जाणशी मनी | भुक्ती मुक्ती दे भक्तपालना | हे दयानिधे श्री गजानना || ६ || काय काय रे साधनें करू | मी असे तुझे मुर्ख लेकरु | विटंबिती मला द्वेत्तभावना | हे दयानिधे श्री गजानना || ७ || विषयचिंतनें शोक पावलों | देह बुध्दीने व्यर्थ नाडलों | भालचंद्रजी तोड़ी बंधना | हे दयानिधे श्री गजानना || ८ || गजमुखा तुझी वाट पहातां | नेत्र शीणले जाण तत्वतां | भेटसी कधी भ्रमनिवारणा | हे दयानिधे श्री गजानन || ९ || प्रभु समर्थे तू आमुचे शिरी | वेष्टिलों असे विषयापामरीं | नवल हेंचि रे वाटते मना | हे दयानिधे श्री गजानना || १० || अगुन अद्वया तू परात्परा | पार नेणवे विधि हरीहरां | अचल निर्मला नित्य निर्गुणा | हे दयानिधे श्री गजानना || ११ || जिवन व्यर्थ हे तुज वेगळे | स्वहित आपुले काम साधिले | सुख नसे सदा मोहयातना | हे दयानिधे श्री गजानना || १२ || फारसे मला बोलता न ये | पाउले तुझे देखिलीं स्वये | मांडिली असे बहुत वल्गना | हे दयानिधे श्री गजानना || १३ || दीनबंधू हे ब्रीद आपुले | साच तूं करीं दाविं पाउले | मंगलालया विश्वजीवना | हे दयानिधे श्री गजानना || १४ || नाशिवंत रे सर्व संपदा | हे नको मला पाव एकदा | क्षेम देउनी चित्तरंजना | हे दयानिधे श्री गजानना || १५ || जातसे घडी पल युगापरी | लागली तुझी खंती अंतरी | स्वामी आपुला विरह साहिना | हे दयानिधे श्री गजानना || १६ || कळेल तें करी विनविणे किती | तारी अथवा मारीं गणपती | सकलदोष अन संकष्टनाशना | हे दयानिधे श्री गजानना || १७ || आवडे मला त्रिभुवनाकृती | पूजुनी बरी करीन आरती | धांव पांव रे मोदकाशना | हे दयानिधे श्री गजानना || १८ || हृदय कठीण तूं न करि सर्वथा | अंत आमुचा बघसी पुरता | सिध्दी वल्लभा मूषकवाहना | हे दयानिधे श्री गजानना || १९ || कल्पवृक्ष तू कामधेनु वा | लाविजे स्तनीं जिविंच्या जिवा | हाचि हेत रे शेष भुषणा | हे दयानिधे श्री गजानना || २० || गणपति तुझे नाम चांगले | आवड़ी बहू चित्त रंगले | प्राथना तुझी गौरीनंदना | हे दयानिधि श्री गजानना || २१ || तारिं मोरया दुःखसागरीं | गोसावीनंदन प्रार्थना करी | आत्मया मनी जाण चिदघना | हे दयानिधे श्री गजानना || २२ ||

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