मातृका वसोर्धारा पुराणोक्त मंत्र
यज्ञ - शान्ति > पूजन कर्म विधी Posted at 2016-02-09 05:54:00
||श्रीगणेशगौर्यादि मातृका||
ॐसमिपेमातृवर्गस्य सर्वविघ्न हरंसदा।
त्रैलोक्य पूजितं देवं गणेशं स्थापयाम्यहं॥ ||
ॐगणेशाय नम:||1
हिमाद्रि तनयां देविं वरदां दिव्य भूषितां| लंबोदरस्यजननींगौरिंआवाहयाम्यहं॥ ||
ॐगोर्यै नम:||2
सुवर्णांभांपद्महस्तांविष्णो र्वक्षस्थल स्थितां।
त्र्यैलोक्य पूजितां देंविं पद्मां आवाहयाम्यहं॥||
ॐपद्मायै नम:||3
दिव्यरुपां विशालाक्षीं शुचिं कुंडल धारिणीं।
देवराज प्रियांभद्रां शचि मावाहयाम्यहं॥
||ॐशच्यै नम:||4
वैवस्वतकृत फुल्लाब्ज तुल्याभांपद्म वासिनीम्।
बुध्दिप्रसादिनींसौम्यांमेधामावाहयाम्यहं॥
||ॐमेधायै नम:||5
जगत्सृष्टिकरींधात्रींरुपेनचव्यवस्थितां।
ॐकाराख्यां भगवतिं सावित्रिमावा हयाम्यहं॥ ||ॐसावित्र्यै नम:||6
विष्णुरुद्रार्क देवानां शरिरेषुव्यव स्थितां। त्र्यैलोक्यवासिनीं देवीं विजयामावाह याम्यहं॥
||विजयायै नम:||7
दैत्यरक्षःक्षय करीं देवानामभयप्रदां। गीर्वाणवंदितादेवींजया मावाहयाम्यहं॥
||ॐजयायै नम: || 8
मयूरवाहनांदेवीँ शक्तिखड्ग धनुर्धराम।|
आवाहयेदेवसेनां तारकासुरमर्दिनीं||
||ॐदेवसेनायै नम:|| 9
कव्यमादायसततंपितृभ्योया प्रयच्छति।
पितृ लोकार्चितांदेवीँ स्वधा मावाहयाम्यहं॥
ॐस्वधायै नम:|| 10
हविर्गृहित्वासततं देवेभ्योया प्रयच्छति। वन्हिप्रियाचसास्वाहासमागच्छतुसाध्वरे||
||ॐ स्वाहायै नम:|| 11
आवाहयाम्यहं मातःसकला लोक पूजिताः॥
सर्वकल्याण रूपिण्यो वरदा दिव्य भूषिता:||
ॐमातृभ्यो नम:|| 12
आवाहयेल्लोकमातृर्जयंतीप्रमुखाःशुभाः || नानाभीष्टप्रदाःशांता सर्वलोकहिता वहाः।|
ॐलोकमातृभ्यो नम:|| 13
नमःस्तुष्टिकरींदेवींलोकानुग्रहकर्मणी। स्वकामस्यचसिध्यर्थं धृतिमावाहयाम्यहं||
||ॐधृत्यै नम:|| 14
आवाहयाम्यहंपुष्टि जगद्विघ्न विनाशिनी।
ज्ञात्वापुष्टि करिं देवींरक्षणाया ध्वरे मम॥
ॐपुष्ट्यै नम:|| 15
सौम्यरुपे सुवर्णाभे विद्युज्वलीतकुंडले।
धर्मतुष्टिकरीँ देवीं मस्मिन्यज्ञे हितायवै॥
||ॐतुष्ट्यै नम:|| 16
त्वमात्मासर्व देवानां देहिनांमंत्र सर्वगां|
वंशवृध्दि करीं देवीँ कुलदेवीँ प्रपूजयेत्॥
|| ॐआत्मन:कुलदेवतायै नम: || 17
||वसोर्धारा पूजनं||
सुवर्णाभां पद्महस्तां विष्णोर्वक्षस्थल स्थितां। त्र्यैलोक्यवल्लभां देवी श्रियमावा हयाम्यहं॥
ॐश्रियै नम:|| 1
शुभ लक्षण संपन्नां क्षीरसागर संभवां| चंद्रस्यभगिनींसौम्यां लक्ष्मीमावाहयाम्यहं॥
||ॐलक्ष्म्यै नम:|| 2
संसारधारणपरां धैर्य लक्षण संयुताम्।
सर्वसिद्धि करीं देवीं धृति मावाहयाम्यहं॥
||ॐधृत्यै नम:|| 3
सदसत्कार्यकरणंक्षमाबुद्धिविलासिनी।
मम कार्ये शुभकरी मेधा मावाहयाम्यहं॥
||ॐमेधायै नम:|| 4
सौम्यरुपांसुवर्णाभां विद्युज्वलित कुंडलाम्।
जननीं पुष्टि करीणीं पुष्टिं मावा हयाम्यहं॥
ॐपुष्ट्यै नम:|| 5
भूतग्राम मिदंसर्व मजेन श्रद्धयाकृतम्।
श्रद्धयाप्राप्यते सत्यं श्रद्धा मावाहयाम्यहं॥
||ॐश्रध्दायै नम:|| 6
प्रणवस्यैव जननीं रसना ग्रस्थिता सदा।
प्रगल्भ दात्रि चपलां वाणीं मावाहयाम्यहं॥
||ॐसरस्वत्यै नम:|| 7
प्रार्थना --
यदंगत्वेन भोदेव्याःपूजिताविधिमार्गतः।
कुर्वंतु कार्य मखिलं निर्विघ्नेन क्रतुत्भवं॥
श्री श्याम जोशी गुरुजी
टिटवाळा
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