साईबाबा बावनी स्तोत्र

स्तोत्र - मंत्र  > साईबाबा स्तोत्र Posted at 2019-02-09 02:39:22
साईबाबा बावनी स्तोत्र जय ईश्वर जय साईं दयाल, तू ही जगत का पालनहार । दत्त दिगंबर प्रभु अवतार, तेरे बस में सब संसार । ब्रह्माच्युत शंकर अवतार, शरणागत का प्राणाधार । दर्शन दे दो प्रभु मेरे, मिटा दो चौरासी फेरे । कफनी तेरी एक साया, झोली काँधे लटकाया । नीम तले तुम प्रकट हुए, फ़कीर बन के तुम आये । कलयुग में अवतार लिया, पतित पावन तुमने किया । शिर्डी गाँव में वास किया, लोगों का मन लुभा लिया । चिलम थी शोभा हाथों की, बंसी जैसी मोहन की । दया भरी थी आँखों में, अमृत धारा बातों में । धन्य द्वारका वह माई, समा गए जहाँ साईं । जल जाता है पाप वहां, बाबा की है धुनी जहाँ । भुला भटका मैं अनजान, दो मुझको अपना वरदान । करुणा सिन्धु प्रभु मेरे, लाखों बैठे दर पे तेरे । अग्निहोत्री शास्त्री को चमत्कार तुमने दिखलाया । जीवन दान शामा पाया, जहर सांप का उतराया । प्रलय काल को रोक लिया, भक्तों को भयमुक्त किया । महामारी को बेनाम किया, शिर्डीपुरी को बचा लिया । प्रणाम तुमके मेरे ईश, चरणों में तेरे मेरा शीश । मन की आस पूरी करो, भवसागर से पार करो । भक्त भीमाजी था बीमार, कर बैठा था सौ उपचार । धन्य साईं की पवित्र उदी, मिटा गयी उसकी क्षय व्याधि । दिखलाया तुने विट्ठल रूप, काकाजी जो को स्वयं स्वरुप । दामू को संतान दिया, मन उसका संतुष्ट किया । कृपानिधि अब कृपा करो, दीन दयालू दया करो । तन मन धन अर्पण तुमको, दे दो सदगति प्रभु मुझको । मेघा तुमको न जाना था, मुस्लिम तुमको माना था । स्वयं तुम बनके शिवशंकर, बना दिया उसका किंकर । रोशनाई की चिरागों से, तेल के बदले पानी से । जिसने देखा आँखों हाल, हाल हुआ उसका बेहाल । चाँद भाई था उलझन में, घोड़े के कारण मन में । साईं ने की ऐसी कृपा, घोडा वो फिर से पा सका । श्रद्धा सबुरी मन में रखो, साईं साईं का नाम रटो । पूरी होगी मन की आस, कर लो साईं का नित्य ध्यान । जान के खतरा तात्या का, दान दिया अपनी आयु का । ऋण बायजाका चूका दिया, तुमने साईं कमाल किया । पशुपक्षी पर तेरी लगन, प्यार में तुम थे उनके मगन । सब पर तेरी रहम नज़र, लेते सब की खुद ही खबर । शरण में तेरे जो आया, तुमने उसको अपनाया । दिए है तुमने ग्यारह वचन, भक्तों के प्रति ले कर आन । कण-कण में तुमहो भगवान, तेरी लीला शक्ति महान । कैसे करू तेरे गुणगान, बुद्धि हीन मैं हूँ नादान । दीन दयालु तुम हो दाता, हम सब के तुम हो त्राता । कृपा करो अब साईं मेरे, चरणों में ले लो अब तुम्हारें । सुबह शाम साईं का ध्यान, साईं लीला के गुणगान । दीन भक्ति से जो गायेगा, परम पद को वह पायेगा । हर दिन सुबह और शाम को, गाये साईं बावनी को । साईं देंगे उसका साथ, लेकर अपने हाथों में हाथ । अनुभव तृप्ति के यह बोल, शब्द बड़े हैं यह अनमोल । यकीन जिसने मान लिया, जीवन उसने सफल किया । साईं शक्ति विराट स्वरुप, मन मोहक साईं का रूप । गौर से देखो तुम भाई, बोलो जय सदगुरु साईं ||

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