शांतादुर्गा आरती

आरती  > देवी आरती Posted at 2018-11-02 15:22:58
श्री शांतादुर्गेची आरती भूकैलासा ऐसी ही कवला नगरी | शांतादुर्गा तेथे भक्तभवहारी | असुराते मर्दुनिया सुरवरकैवारी | स्मरती विधीहरीशंकर सुरगण अंतरी||१|| जय देवी जय देवी जय शांते जननी | दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी||धृ|| प्रबोध तुझा नव्हे विश्वाभीतरी | नेति नेति शब्दे गर्जती पै चारी| साही शास्त्रे मथिता न कळीसी निर्धारी | अष्टादश गर्जती परी नेणती तव थोरी| जय||२|| कोटी मदन रूपा ऐसी मुखशोभा | सर्वांगी भूषणे जांबूनदगाभा | नासाग्री मुक्ताफळ दिनमणीची प्रभा | भक्तजनाते अभय देसी तू अंबा| जय||३|| अंबे भक्तांसाठी होसी साकार | नातरी जगजीवन तू नव्हसी गोचर | विराटरूपा धरूनी करीसी व्यापार | त्रिगुणी विरहीत सहीत तुज कैचा पार| जय||४|| त्रितापतापे श्रमलो निजवी निजसदनी | अंबे सकळारंभे राका शशीवदनी | अगमे निगमे दुर्गे भक्तांचे जननी | पद्माजी बाबाजी रमला तव भजनी | जय||५||

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