मन्युसूक्त
मन्यु सूक्तम् ऋग्वेद संहिता; मण्डलं 10; सूक्तं 83,84 यस्ते” मन्योऽवि’धद् वज्र सायक सह ओजः’ पुष्यति विश्व’मानुषक् | साह्याम दासमार्यं त्वया”
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